Tuesday, November 24, 2009

एक वो वक़्त था जब वक़्त से खफ़ा थे हम, एक ये वक़्त है जब खफ़ा होने का वक़्त ही नहीं है...!!

"Sandeep Zorba"

दिल मिलने चाहिए फिर हाथ मिले न मिले क्या फर्क पड़ता है...!!

"Sandeep Zorba"

सारे शहर में चर्चा ये आम है, मयखाने है खाली सब, दर तेरा बदनाम है...!!

"Sandeep Zorba"

शमा को बुझा दो अब, जरुरत क्या है, हमने भी चरागों सा जलना सीख लिया है...!!

"Sandeep Zorba"


दो सुबहों के बीच एक रात तो आती ही है, आनी ही है...

"Sandeep Zorba"

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