Tuesday, November 24, 2009

एक चोट दिल पे खाए बैठे है
पलकों में आंसू छुपाये बैठे है
लोग कहते है हम हर वक़्त हंसा करते है
हंसी को ही चेहरा बनाये बैठे है...!!

"SandeepZorba"

कितनी उम्र कट गयी इन शहरों में, मालूम नहीं,
कितने शहर निकल गए इतने सालों में, मालूम नहीं,
जीने का होश था, बस जीने का होश था...

"Sandeep Zorba"

खुद को तुझमे खो दिया है,
या तुझको खुदमे पा लिया है,
बस यही चंद लफ्ज़ कहकर
हमने दिल को बहला लिया है...

"Sandeep Zorba"

फिर खुद में महसूस किया मैंने तुझको,
कुछ अब भी, मुझमे तेरा बाकी है,
मुझको शक है, अपने ही साए पर,
ये तेरा ख्याल है, जो हर वक़्त मेरे साथ रहता है...

"Sandeep Zorba"

हाथों की सब लकीरें उलझी पड़ी है,
जिंदगी घर की दहलीज़ पर खड़ी है,
दरवाजे है छोटे, खिड़कियाँ बड़ी है,
और जिंदगी घर की दहलीज़ पर कड़ी है...

"Sandeep Zorba"

No comments:

Post a Comment