Saturday, November 28, 2009


मै जब भी तनहा होता हूँ, खुद से बस ये कहता हूँ,
क्यूँ खामोश-खामोश सी ये हवा है, क्यूँ वीरान-वीरान सी हर जगह है,
क्यूँ फैला अँधेरा राहों में, क्यूँ सूरज छिपा पनाहों में,
क्यूँ कोहरा भरा है आँखों में, कुछ आता नहीं निगाहों में,
इस सोच में डूबा रहता हूँ, मै जब भी तनहा होता हूँ !

"Sandeep Zorba"

Wednesday, November 25, 2009


ख्व़ाब कितने सस्ते होते है ना?
ख्व़ाब कितने अच्छे होते है ना?
जो ख्व़ाब, मै अपने मखमली बिस्तर पर,
गर्म रज़ाई की आग़ोश में छुपकर देखता हूँ ,
वही ख्व़ाब वो बूढा आदमी बटोर लेता है ,
जिसके बदन पर कपडे तो है, मग़र काफी नहीं,
जो लेटा है अपने हाथ पैर समेटे,
शहर की ठंडी शोरगुल सी उस सड़क पर,
इस उम्मीद कि और कुछ नहीं तो शायद,
नींद तो उसके नसीब में होगी,
जागता, मै भी हूँ देर तक,
जागता, वो भी है देर तक,
फर्क बस इतना है कि,
मै फेसबुक के लिए नींद छोड़ देता हूँ,
और उसे भूख सोने नहीं देती,
ख्व़ाब उसके भी है और मेरे भी,
फर्क बस इतना ही है, कि
मेरे ख्व़ाब, नींद के बाद शुरू होते है,
और उसकी नींद, ख्व़ाब के बाद आती है,
ख्व़ाब, मेरे लिए एक झूठी दुनिया है,
और ख्व़ाब, उसके लिए एक पूरी दुनिया है,
ख्व़ाब कितने सस्ते होते है ना?
ख्व़ाब कितने अच्छे होते है ना?

"Sandeep Zorba"

Tuesday, November 24, 2009

एक वो वक़्त था जब वक़्त से खफ़ा थे हम, एक ये वक़्त है जब खफ़ा होने का वक़्त ही नहीं है...!!

"Sandeep Zorba"

दिल मिलने चाहिए फिर हाथ मिले न मिले क्या फर्क पड़ता है...!!

"Sandeep Zorba"

सारे शहर में चर्चा ये आम है, मयखाने है खाली सब, दर तेरा बदनाम है...!!

"Sandeep Zorba"

शमा को बुझा दो अब, जरुरत क्या है, हमने भी चरागों सा जलना सीख लिया है...!!

"Sandeep Zorba"


दो सुबहों के बीच एक रात तो आती ही है, आनी ही है...

"Sandeep Zorba"
एक चोट दिल पे खाए बैठे है
पलकों में आंसू छुपाये बैठे है
लोग कहते है हम हर वक़्त हंसा करते है
हंसी को ही चेहरा बनाये बैठे है...!!

"SandeepZorba"

कितनी उम्र कट गयी इन शहरों में, मालूम नहीं,
कितने शहर निकल गए इतने सालों में, मालूम नहीं,
जीने का होश था, बस जीने का होश था...

"Sandeep Zorba"

खुद को तुझमे खो दिया है,
या तुझको खुदमे पा लिया है,
बस यही चंद लफ्ज़ कहकर
हमने दिल को बहला लिया है...

"Sandeep Zorba"

फिर खुद में महसूस किया मैंने तुझको,
कुछ अब भी, मुझमे तेरा बाकी है,
मुझको शक है, अपने ही साए पर,
ये तेरा ख्याल है, जो हर वक़्त मेरे साथ रहता है...

"Sandeep Zorba"

हाथों की सब लकीरें उलझी पड़ी है,
जिंदगी घर की दहलीज़ पर खड़ी है,
दरवाजे है छोटे, खिड़कियाँ बड़ी है,
और जिंदगी घर की दहलीज़ पर कड़ी है...

"Sandeep Zorba"

It is so fragile
it is so delicate
how to protect it
I can't even touch it
It is a shower of ecstasy
It is a cloud of fear
the moments it brings up
are really so rare
It is something new
It is so silent
It is destroying me
without being violent
when I look at it
It gets disappear
when I disappear in it
It then appears
It is smiling every moment
and gradually killing me
but the feeling arises
out of my being
It is tickling me
I am it
or It is me
a drop is preparing
for merging with sea
how to hold it
how to grab it
I still don't know
how to protect it....

"Sandeep Zorba"